उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं-ब्रह्मकुमारी मधुमिता

Madhumita

Madhumita 

उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं 

हौसले की उड़ान भर तू राही, कभी थमना नहीं…
चलता चल जीवन पथ पर, क्योंकि…
उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं..
बाधाएं तो आएँगी, पर निराश होना नहीं…
घड़ी है अग्निपरीक्षा की, राही तू डरना नहीं….
चाहत है गर, मंजिल को पाने की.. राही तू भटकना नहीं…
भरोसा है गर, खुद पर और खुदा पर, राही तू थमना नहीं…..
मंजिल खुद चलकर आएगी, मार्ग से अपने हटना नहीं….
क्योंकि उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं…
जब-तक हो एक भी साँस बाकी, तब-तक जीने की चाह छोड़ना नहीं..
करो वही, जो सोचा है, समय कभी थमता नहीं…
मुस्कुराकर गम भूलाता चल राही
बेकार का गट्ठर उठाकर चलना नहीं….
ये दुनियाँ तो रैन बसेरा है, किसीको यहाँ रहना नहीं….
जो आया है, सो जायेगा, व्यर्थ के जाल में फसना नहीं…
प्यार लुटाता चल सभी पर, मुख कभी किसी से मोरना नहीं….
अपने भी होंगे, सपने भी होंगे,
अपनों के बिना जीवन नहीं….
क्योंकि उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं……

ॐ शांति
ब्रह्मकुमारी मधुमिता
पूर्णियाँ

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