उठो आँसू न बहाओ-कुमकुम कुमारी

उठो आँसू न बहाओ

उठो, आँसू न बहाओ
गम को गले लगाओ
सुख – दुःख हैं
जीवन के दो पहिए
इसके साथ चलते जाओ।
उठो, आँसू न बहाओ…….

अगर आज है अंधेरी रातें
तो कल होंगे दिन सुहाने
इस आस में बढ़ते जाओ
अब तो जरा मुस्कुराओ।
उठो, आँसू न बहाओ………

देखो जरा तुम सूरज को
कैसे अंधेरा चीर कर आया
कीचड़ में भी देखो
कैसे फूल है मुस्काया।
उठो, आँसू न बहाओ…….

तारों भरे गगन में
देखो चाँद है मुस्काया
उत्साह को तुम बढ़ाओ
यूँ हिम्मत न गँवाओ।
उठो, आँसू न बहाओ……..

विधाता ने देखो तुमको
बड़ी शिद्दत से है बनाया
इसे यूँ न तुम गँवाओ
सदा आगे बढ़ते जाओ।
उठो, आँसू न बहाओ………

कल होगा नया सवेरा
इस विश्वास को जगाओ
छट जाएँगे दुःख के बादल
यह सोच तुम मुस्कुराओ।
उठो, आँसू न बहाओ……..

कुमकुम कुमारी
मध्य विधायक, बाँक
मुंगेर, बिहार

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