विज्ञान टीएलम बनाते बच्चे – अवधेश कुमार

खिलखिलाती आँखों में चमक नए विचारों की,
गुरुजी जगाते चिंगारी सृजन-संसारों की।
कागज़, रंग और विज्ञान के छोटे-छोटे खजाने,
बना जाते हैं ऐसे टीएलएम जैसे बच्चों के नजराने ।

जहाँ किताबें देतीं राहें, हाथों में आता हुनर,
गुरुजी कहते – “खुद करो, सीखो, यही तो है सीखने का असर ।”
बच्चों की मेहनत में झलकता एक नया भविष्य,
हर चार्ट, हर मॉडल कहता – “ज्ञान का अद्भुत दृश्य ।”

जब बालमन और शिक्षा जुड़ जाएं एक सूत्र में,
तो साधारण कक्षा भी बदल जाए अनोखे अवतार में।
खुद बनाते साधन, खेल-खेल में सीखते,
गुरुजी की प्रेरणा से सपनों को सींचते।
कभी वाल पेंटिंग , कभी मिट्टी के मॉडल , कभी घरेलू जुगाड़
ऐसे बच्चों का प्रेरक संसार ।
भविष्य के निर्माता, कल्पना के पंख फैलाते,
अपने ही हाथों से ज्ञान के दीप जलाते।
खुद टीएलएम बनाते बच्चे, प्रेरित हो उठे विद्यालय सारा,
गुरुजी की प्रेरणा से चमके हर नन्हा सितारा।
प्रस्तुति – अवधेश कुमार
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर

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