वह शिक्षक हैं-गिरिधर कुमार

 वह शिक्षक हैं

बच्चे, स्कूल
कक्षा, कोलाहल
अपेक्षाएं
अपरिमित सीमाएं
और वह
शांत है, सजग है, सुदृढ़ है
वह शिक्षक है। 

प्रशंसा की विचलन से
अनजान
वह आश्वस्त है
अपनी दीनता के मायने से
हर एक अपेक्षाओं की
पड़ताल करता
अपनी कमियों को
विचारता, गुनता
वह सतत रत है
अपनी सार्थकता के तईं

वह शाश्वत है
वह छाँव है
शहर के शोरोगुल में
एक शांत गाँव है
बस निहाल करता कर्म को
प्रगति के धर्म को
वह इस मर्म का प्रशिक्षक है
वह शिक्षक है। 

गिरिधर कुमार

म. वि. बैरिया

अमदाबाद कटिहार

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