वर्षा रानी-ब्यूटी कुमारी

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वर्षा रानी

कभी फुहारा बन बरसती
धरती को सरस बनाती
चारो और हरियाली छाई।
कभी मोटे बूंदो वाली
बहुत हुआ अब कीचड़ पानी
अब न करो मनमानी।
बादल की गरज
बिजली की चमक
काली घटा नभ में छाई।
घनघोर वर्षा जब आती
नदी नाले ताल तलैया
सभी पानी से भर जाते।
मेढक की टर्र टर्र
कानो में गूंजती
ठंडी ठंडी हवा सुहानी
चारों ओर पानी पानी
खेतों के फसल पानी में डूबे
कैसे होगा भोजन पानी?
बहुत हुई मस्तानी
वर्षा रानी वर्षा रानी
अब न करो मनमानी।

✍️ ब्यूटी कुमारी
मध्य विद्यालय मराँची
बछवाड़ा, बेगूसराय

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