वर्षा ऋतु-रीना कुमारी

वर्षा ऋतु

वर्षा ऋतुओं की रानी है,
ये है तो धरती पर पानी है,
सुख-दुःख की रवानी है
जीवन की सच्ची ये कहानी है।

किसानों में होता खुशी का संचार,
वर्षा रानी की महिमा अपरंपार,
खेती के लिए होता है वरदान,
सूखी धरती में ला दे जान।

गड़-गड़ की धुन बजाए बादल
बिजली चमके चम-चम,
बूंदें बरखा की गिरे छम-छम,
झींगुर का शोर हुआ झन-झन।

उमड़-घुमड़ कर बरसे बदरिया
खुशी से वन में नाचे मोर
मेढ़क की टर्र-टर्र बोली
सूखी धरती में छाई हरियाली।

पृथ्वी को मनोरम और अलौकिक ये बनाए
कभी-कभी प्रलय का कारण बन जाए,
अत्यधिक वर्षा आफत भी बन जाए
संक्रामक बीमारियों को भी ये फैलाए।

रीना कुमारी
प्रा० वि० सिमलवाड़ी पाश्चिम टोला

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