वो शिक्षक ही हैं
हरेक बाधाओं को पार कर,
जो हमें चलना सिखलाता है,
चेतना में भर आशा की किरण,
जो जीवन जीना सिखलाता है,
ताउम्र जो शिक्षा का संचार कर,
अनुशासन का अलख जगाता है,
हाँ वो शिक्षक ही है जो,
राष्ट्र निर्माता कहलाता है।
परोपकारिता व कर्तव्यनिष्ठा का,
जो नित दिन पाठ पढ़ाता है,
हमारी नैया के खेवनहार बन,
जो साहिल को पार कराता है,
देश व समाज को शिक्षित कर,
जो प्रेम सुधा बरसाता है,
हाँ वो शिक्षक ही है जो,
राष्ट्र निर्माता कहलाता है।
हर चुनौतियों को जीतने की,
जो मुझमें हिम्मत जगाता है,
धर्म, कर्म और पितृजनों की,
जो हमें परम सीख दे जाता है,
जग में मैं ऊँचा नाम करुं,
जो इस काबिल बनाता है,
हाँ वो शिक्षक ही है जो,
राष्ट्र निर्माता कहलाता है।
चहुं ओर ज्ञान का दीप जला,
जीवन का तमस भगाता है,
मिट्टी को सोना बना डालूं,
जो ऐसा हुनर सिखलाता है,
जो हमारे भविष्य को सँवार,
ईश्वर सा किरदार निभाता है,
हाँ वो शिक्षक ही है जो,
राष्ट्र निर्माता कहलाता है।
नूतन कुमारी
प्रा. वि. चोपड़ा
पूर्णियाँ, बिहार