ये बेटियाँ- मधु कुमारी

ये बेटियाँ 

बेटियाँ उन्मुक्त नदियों की
लहरों-सी
मदमस्त हवा के ठण्डे
झोंकों-सी
चहकती, दमकती, मदमस्त
छबिली-सी
छन-छन के सुरीली
गीतों-सी
रिश्तों के नाजुक
डोर-सी
परम्परा निभाती
फ़रिश्ते-सी
एक मजबूत किंतु
रिमझिम बारिश के
मीठी फुहार-सी
कभी झिलमिल चमकते
सितारों-सी
तो कभी चाँद के तरह
शीतल, प्यारी-सी
कभी लहरों-सी शांत
तो कभी सबका ध्यान रखनेवाली
ममतामयी माँ-सी माँ की लाडली 
पापा की परी
किन्तु …..अफ़सोस
आज भी अपने ही घर में
पराई-सी
एक दर्द-सी, एक चुभन-सी
तो कभी सिसक-सी
काश!………………
ये बेटियाँ भी ………

माँ मेरी माँ

माँ के लिए मैं क्या लिखूँ ?
वो शब्द नहीं मेरे पास जो माँ की शक्सियत को,
माँ के वजूद को पारिभाषित कर सके।
       औरत के अनेक रूपों में से सर्वोपरि, अत्यंत मार्मिक, अभिन्न अंग अतुल्य, अपरिभाषित, सहनशीलता की मूक मूरत, जिसके जैसा जग में कोई दूसरा दानी नहीं।
वो स्वार्थरहित, ममतामयी,
करुणामयी, दयामयी माँ जिसके आँचल में सारा जग समाया और जिसके गोद में जन्नत ………………
मैं उस देवी स्वरुप माँ को क्या कहूँ ? जीवन का आधार भी माँ और सार भी माँ। सच में इस पृथ्वी पर ईश्वरीय शक्तियुक्त हमारे साथ होती है माँ। एक माँ अपने जीवन का क्षण-क्षण, पल-पल अपने बच्चों पर न्यौछावर कर देती है। अपनी इच्छाओं कोअपनी कामनाओं को अपने बच्चों के समक्ष धराशायी कर देती है और बदले में हमसे कुछ चाहती भी नहीं।

वो त्याग की देवी माँ अपने बच्चे के जीवन को सँवारने में कब अपना जीवन जीना भूल जाती है उसे पता ही नहीं चलता।

बस वो केवलअपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए निरंतर प्रयासरत रहती है और उसे कुछ सुध कहाँ रहती।

ये जीवन अमुल्य है कहते हैं लोग जी भर जीयो,

पर उसे याद कहाँ …….वो तो बस अपनी ही धुन में जिए जाती है।

सुना है मैंने माँ के पैरों के नीचे जन्नत होती है।

परंतु आज विपरीत व्यवस्था है हमारे समाज में।आज बेटे के कदमों के नीचे माँ-बाप के अस्तित्व छलनी होते।
हाय! ये कैसी विडम्बना है उसके जीवन का ……कितनी बेबस और निसहाय है अब वो माँ, जो कभी चट्टान की तरह अडिग खड़ी रहती थी,

अपने बच्चों के लिए …..अपने बच्चों के साथ।
उफ़!……….काश कि आज की नई पीढ़ी समझे उस दर्द को और डरे आनेवाले उस कल के काल से ……..
‘माँ’ हमसब के अस्तित्व
की नींव
हमारे होने का
आधार
माँ शिक्षा, माँ दीक्षा
माँ आशा, माँ उम्मीद
माँ दुआ, माँ आशीष
माँ हीं प्रेरणा,
माँ हीं सबकुछ।
माँ के चरणों में शत शत नमन

मधु कुमारी     

उ॰ म॰ वि॰ भतौरिया बलुआ

हसनगंज कटिहार
                         

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