योग
आओ तन-मन को निरोग करें
सब मिलकर चलो योग करें
जप, तप और योग-ध्यान
हर लेती हर विपदा-बाधाएँ
आत्मविश्वास, यादाश्त बढ़ाकर
नित अमृत बूँद बरसाती जाए
स्नेहसिक्त हो आत्मिक भाव से
चलो एक दूजे का सहयोग करें
सब मिलकर चलो योग करें।
योग है संस्कृति और पहचान
करें आसन और प्राणायाम
शुद्धिकरण कर एकाग्रचित से
बस साँसों पर ही रखें ध्यान
ब्रह्ममुहूर्त की अमृत बेला में
समय का चलो सदुपयोग करें
सब मिलकर चलो योग करें।
निशदिन जो भी करता योग
भागे जीवन से आलस-रोग
नित करे समावेश स्फूर्ति का
योग भगाता हर एक रोग
बढ़ जाएगी जीवन प्रत्याशा
प्रकृति संग चलो संयोग करें
सब मिलकर चलो योग करें।
योग के कितने विविध प्रकार
मिटाते मन के सभी विकार
शांत चित्त और सुंदर काया
संग मानव हो जाता एकाकार
योग को कर दिनचर्या में शामिल
शाकाहार का अब भोग करें
सब मिलकर चलो योग करें।
अर्चना गुप्ता
मध्य विद्यालय कुआड़ी
अररिया, बिहार