योग और आध्यात्म
योग है आध्यात्मक की सीढ़ी
जो जन इसपर चढ़ता जाता है
तन-मन अपना पावन बनाकर
अद्भुत सुख वो पाता है।
योग की निरंतर साधना से
अंतर्मन खिल जाता है
अपनी स्वचेतना से प्राणी
अलौकिक ज्ञान को पाता है।
योग की महिमा है बड़ी भारी
ऋषि-मुनियों ने यह बताया है
किंकर्तव्यविमूढ़ धनञ्जय को
योगेश्वर ने राह दिखाया है।
योग के पथ पर चल कर योगी
आध्यात्मिक बन जाता है
सुख-दुःख से परे वो
परम् शांति को पता है।
यम, नियम को अपनाकर योगी
विकारों पर नियंत्रण पाता है
आसन से वे अपने शरीर को
सुदृढ़ व स्वस्थ बनाता है।
प्राणायाम और प्रत्याहार योगी को
श्वसन पर नियंत्रण करना सिखाता है
और योगी तब खुद को
वासना व दासता से मुक्त कर पाता है।
धारणा, ध्यान और समाधि योगी को
आत्मा के अंतर्मन तक पहुँचाता है
इस प्रकार योगी आत्मानंद में डूबकर
आध्यात्मिकता की सीढ़ी पार कर जाता है।
कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृती’
मध्य विद्यालय बाँक
जमालपुर