युवा शक्ति
गुमनाम सा जीवन कब,
यौवन को हुआ स्वीकार,
नवयौवन तो है ऋतुराज बसंत,
जीवन का श्रृंगार।
जब भी युवा शक्ति किया प्रदर्शन,
नवयुग का निर्माण हुआ,
नव यौवन तो है ऋतुराज बसंत,
जीवन का श्रृंगार।
इंटरनेट और युग मोबाइल का,
इसमें आज युवा जी रहा,
चंचल जीवन करती अठखेलियां,
जाने क्या पाकर,
परमेश्वर से मिली शक्तियों को,
करता आज बेकार,
युवा शक्ति तो ऋतुराज बसंत, जीवन का श्रृंगार।
है यह युग कि एक चुनौती,
यह नव युवा शक्ति करें स्वीकार,
निज अवगुण का परित्याग कर,
मन को और मजबूत कर,
सजल भावनाओं का फिर से, उमड़े पारावार,
है यौवन तो ऋतुराज वसंत,
जीवन का श्रृंगार।
बीनू मिश्रा
भागलपुर
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