छोटे बड़े का भेद रहे न, हम सबको गले लगाएँगे।
बच्चे बूढ़े जवान साथ में, हम शिक्षित सबको बनाएँगे।।
रहे नहीं उदास कोई भी, हम सबको हँसी सिखाएँगे।
रहे न किसी से शिकवा गिला, हम ऐसा जहाँ बनाएँगे।।
मैं का अब नहीं होगा भान, हम सबको हीं अपनाएँगे।
रेगिस्तान बने हर दिल में, हम प्रेम पुष्प खिलाएँगे।।
छोटे बड़े का भेद रहे न—————-।
तेरा-मेरा भाव न होगा, हम सब ऐसे मिल जाएँगे।
जहाँ पड़ेंगे कदम किसी के, हम अपनी पलक बिछाएँगे।।
हो चुके निष्प्राण यहाँ जो, हम जीना उसे सिखाएँगे।
काम क्रोध मद लोभ रहे न, चैतन्य सोच हम लाएँगे।।
छोटे बड़े का भेद रहे न—————-।
स्वर्ग से सुन्दर मातृभूमि, लगन से अपने बनाएँगे।
राम कृष्ण अरिहंत बुद्ध की, हम फिर से झलक दिखाएँगे।
राग-द्वेष का भय न होगा, प्रेम पँखुरी खिल जाएँगे।
चकित रहेगा देख विश्व भी, हम ऐसा देश बनाएँगे।।
छोटे बड़े का भेद रहे न——————–।
बोली से अमृत बरसेगा, हम भाषा वही सिखाएँगे।
सींचेंगे प्रेम जल इतना, शूल भी पुष्प बन जाएँगे।।
चहक उठेगी सभी दिशाएँ, कण-कण यहाँ मुस्कराएँगे।
मिट जाएगा भ्रम सभी का, पाठक वह पाठ पढ़ाएँगे।।
छोटे बड़े का भेद रहे न—————–।
रामकिशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश
पालीगंज, पटना