बरसेगी कृपा राम जी की
हर्षेगा ह्रदय माँ जानकी की
युगों की तपस्या से लौट रहे,
मेरे प्रभु बाल स्वरूप में!
सज रही है उनकी अयोध्या
सिया पुकारें , यथाशीघ्र पधारें मेरे पिया!
आकार ले रहा मंदिर भी अब
विशाल, बहुमंजिला और भव्य,
विराजेंगे प्रभु श्रीराम तो देखेगा जग!
रामराज्य की कल्पना लिए ,
करोड़ों हृदय हैं आस लगाए
पधारें प्रभु श्रीराम तो
जन जन का जीवन धन्य हो जाए!
उल्लास उमंग की है अनुभूति
जगी चेतना हर भारतीय की
सम्राट भी अपने बने हैं व्रती
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के हैं मुख्य अतिथि!
22 जनवरी को,
होली , दिवाली का मनेगा उत्सव संग
आभा चेतना देखकर राष्ट्र की
दुनिया रह जाएगी दंग!
विश्व गुरु का गौरव पुरातन
फिर से लौट कर आएगा
न्याय , शांति, सद्भाव, समन्वय का,
मार्ग भारत बतलाएगा।
गूंजेगा सिर्फ एक ही नारा
जय श्री राम का भारत प्यारा
विज्ञान, प्रद्यौगिकी , अनुसंधान
चाहे हो अंतरिक्ष विज्ञान
सबका बनेगा सिरमौर,
अपने विकास को दुनिया देखेगी
केवल भारत की ओर।
लेखक-✍️©नवाब मंजूर✍️
प्रधानाध्यापक,
म. वि भलुआ शंकरडीह, तरैया ( सारण)
नवाब मंजूर की कविताएँ