है इतिहास साक्ष्य बनकर कह रहा
जब जब अत्याचारियों का सितम बरस रहा
जब जब मनुज स्वन्त्रता का अर्थ न समझ रहा
जब जब मनुज पर परतंत्रता का संकट गहरा रहा
जब जब मातृभूमि है परतंत्रता की बेड़ियाँ खनका रहीं
जब जब मातृभूमि है कराह रही
तब तब जवानों का एक वर्ग देश को संदेश दे रहा
देश की माटी को आखिरी प्रणाम कर
रक्त का आखिरी कतरा कतरा अर्पण कर
मातृभूमि को अपना सर्वस्व समर्पण कर
तू बलिदान कर,
तू अभिमान कर
तू प्रमाण कर
इस बात का
तू कर्मवीर है
रणवीर है
धर्मवीर है
रणधीर है
तू साक्ष्य है इस बात का
तू तलवार है स्वन्त्रता संग्राम का
तू कटार है शोषणकरियों के लगाम का
तू स्वाभिमान है मातृभूमि की आन बान शान का
तू संदेश है इस देश के इक इक नवजवान का
कि;
जिधर जवान चलता है
उधर जुबाँ बनता है
जिधर जवानी चलती है
उधर जमाना चलता है ।
अवनीश कुमार
व्याख्याता
प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय ,विष्णुपुर,बेगुसराय