जहाँ चाह है ; मंज़िल वहीं है ,
इसे न भूलें हम सभी ।
माना पथ में संकटे अनेक ,
पर हम न भागेंगे कभी ।
कर्म के सुमेल से ,
यह चल रहा संसार है ।
सूरज जो नित दिन तप रहा ,
बतला रहा यह सार है ।
कर्त्तव्य को आगे करें ,
बस मौन से बढ़ते रहें ।
कर्त्तव्य में बल बुद्धि से ,
विवेक की राह गढ़ते रहें ।
सुनते रहें सब संसार की ,
पर ध्यान इस पर मत धरें ।
अपनी हिया में तौल निज को ,
पग समर रखा करें ।
गढ़ना है सुंदर गढ़ों को ,
जो भाईचारा दे सके ।
अपना सके हर कार्य को ,
जो जग भलाई कर सके ।
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )
1 Likes