खाली अलमारियों को
किताबों से भर दो,
बैठो कभी तन्हा तो
निकाल कर पढ़ लो।
हो मन उदास तो-
उठा लो कोई गीत गजल
चुटकुले कहानियों की किताब…
पढ़ भगा लो सारे अवसाद।
ये जीवनसाथी हैं,
मित्र हैं,
दवा हैं और
मार्गदर्शक भी!
समय समय पर इन्हें निहारो,
समझो परखो विचारो;
जीवन में अपने उतारो।
गूढ़ बातें इनकी अपना लो,
जीवन धन्य बना लो।
ये किताबें ही-
शून्य से शिखर को पहुंचाती हैं,
मंगल, चंद्र तक ले जातीं हैं;
अंतरिक्ष के रहस्य सुलझाती हैं।
जीवन जीना सिखलाती हैं,
मानव को इंसान बनाती हैं।
नजदीकियां इनसे बढ़ाओ,
नये नये नित्य दर्शन पाओ।
जीवन की नैया पार लगाओ,
और सदैव मुस्कुराओ…
लेखक- मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
प्रधानाध्यापक, उमवि भलुआ शंकरडीह
तरैया ( सारण )
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