खामोशी भी कुछ कहती है
चाहे कोई मुँह से बोलकर नहीं कहे ,
लेकिन ये आँखें बहुत कुछ कह देती है।
मैंने ऐसा देखा एक बार
जब खामोश थे मेरे यार,
पूछने की बहुत की कोशिश
लेकिन उसकी आँखें बताई खामोशी की राज।
ज्यादातर खामोशी की बात
रहती है महिलाओं के साथ,
वह खामोश रहकर अपने दर्द को
दबाकर रखती है वो अपने पास।
जब वह अपने दर्द को दबा नहीं सकती
तब खामोशी उसके आँखों से
बहकर निकलती,
जो उससे करता है दिल से प्यार
वो उसकी आँखों से पूछ लेते हैं खामोशी की राज।
खामोशी बहुत कुछ कहती है
आँखों से आँसू बनकर ,
और मुँह चुप लेकिन आँखों में
आँखें मिलाकर सब कुछ कहती है।
खामोशी की शिकार
पुरुष कम ज्यादा महिलाएँ होती है,
वो घरेलू हिंसा और पुरुषों का अत्याचार सहती है
और जब उसका कोई नहीं सुनता
तब अपने आप को वह खत्म कर लेती है।
कभी सुंदर रुप नहीं होने के कारण
कभी दहेज के कारण,
और जब महिलाओं के एक से दो बेटियाँ हो जाए
तो उसके भी कारण।
महिलाओं की खामोशी तो यही सब कहती है
वो खामोश रहकर बहुत कुछ कहती है,
लेकिन महिलाओं की कौन सुनें
वो तो पुरुषों का प्रताड़ना सहती है।
नीतू रानी,पूर्णियाँ बिहार।