गुरु की कृपा
आज करूॅं आभार ह्रदय से
गुरु की बारंबार,
जिसने किए क्षमा हमारे
अगणित अपराध ।
माटी की मूरत जैसा
था मेरा आकार,
गुरु का सानिध्य पाकर
सीखा मैंने संस्कार ।
था अज्ञानी मूढ़ बालक मैं
ज्ञान प्रकाश हमें दिखाया,
करूॅं मैं वंदन ऐसे गुरु की
जिसने जीवन आसान बनाया।
काॅंटों से भरा था जीवन
जीवन जीने का कला सिखाया
करूॅं नमन मैं उस गुरु को
जीवन में जो उत्साह जगाया।
संस्कार,अनुशासन का पाठ पढ़ाया
सफल जीवन का मंत्र बताया,
करूॅं मैं पूजा ऐसे गुरु की
जिसने हमें इंसान बनाया ।
भवानंद सिंह
मध्य विद्यालय मधुलता
रानीगंज, अररिया
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Bahut sunder
Super