चार कबूतर
छत पर चार कबूतर आए
पापा ने छत पर दाना गिराए,
चुनने लगे कबूतर दाने
फिर नीचे आए पानी पीने।
एक कबूतर का पैर था टूटा
मुन्ना लाया अपना जूता,
कैसे पहनेगा कबूतर जूता
क्योंकि पैर जो था उसका टूटा।
दूसरा कबूतर था बड़ा घमंडी
उड़कर गया वह सब्जी मंडी,
सब्जी मंडी में घूम रहा था चोर
देखा कबूतर को लिया दबोच।
तीसरा कबूतर था सबसे बूढ़ा
उसका पंख था लटका और टूटा,
बैठा था वह बड़ा उदास
सब कबूतरों का था वह सरदार।
चौथा कबूतर था बड़ा शैतान
करता सबको वह परेशान,
कभी किसी को चोंच मारता
गुटर-गुटर कर शोर मचाता।
नीतू रानी” निवेदिता”पूर्णियाॅ॑ बिहार।
स्कूल का नाम-म०वि०सुरीगाॅ॑व
प्रखंड -बायसी जिला-पूर्णियाॅ॑ बिहार।
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