गली मोहल्ले में आज इतना शोर-गूल क्यों है।
जो लोगों को कभी समझा ही नहीं।।
उनमें आज विकास की होड़ क्यों है।
लगता है कहीं चुनाव तो नहीं है।।२
आज सबके घर में दीपावली क्यों है।
घर में लगी आग को बुझाने कभी आया ही नहीं।।
आज बाल्टी में पानी लिये,
खड़ा क्यों है।
लगता है कहीं चुनाव तो नहीं है ।।
आज कांटे को कांटों से प्रेम क्यों है ।
कभी कलह में मसीहा बनकर
आया ही नहीं।।
आज पुरुषोत्तम बनके रुख़सार पे आतुर क्यों है।
लगता है कहीं चुनाव तो नहीं है ।।
आज गरीब लोग सरकारी- योजनाओं से रुबरू क्यों नहीं है।
कभी इस तरह योजनाओं का
लाभ दिलाने आया ही नहीं।।
“आज जनता की कवच” बनकर खड़ा क्यों है ।
लगता है कहीं चुनाव तो नहीं है ।।
आज बेसहारे का सहारा बनके पड़ा क्यों है।
इतने दिनों में कभी हाल-चाल
पुछने आया ही नहीं।।
आज रसगुल्ला का डब्बा ,
लीये अड़ा क्यों है ।
लगता है कहीं चुनाव तो नहीं है ।।२
जय कृष्णा पासवान स०शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा,बाराहाट ( बांका)