बच्चों को सिखलाना होगा।
सही मार्ग ले जाना होगा।।
बच्चे तो हैं मन के सच्चे,
यही कर्म दुहराना होगा।
होते हैं मृदु माटी जैसे,
कंचन धवल बनाना होगा।
इनसे आलय की शोभा है,
इसको और बढ़ाना होगा।
नीरवता के मकड़जाल से,
इनको दूर हटाना होगा।
सम्मुख जो संघर्ष खड़े हैं,
स्वयं हमें सुलझाना होगा।
ज्ञान रश्मि से पथ ज्योतित हो,
ऐसा अलख जगाना होगा।
शूल नहीं हैं ये प्रसून हैं,
जीवन को महकाना होगा।
नव तरु डाली उद्यानों के,
मंगल सुमन खिलाना होगा।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर
0 Likes