धीरे आते माखनचोर,
खाते माखन, मटकी फोड़।
खुश हो आती, मैया दौड़,
घबराती, बैंया मरोड़।
छुप के आँसू भी बहाए,
क्यों लल्ला, मेरे हाथों पिटाए।
माखन ही तो, खाया है,
भले ही थोड़ा, इसे गिराए।
जान से प्यारा, लल्ला हमारा,
भोला-भाला, सबका प्यारा,
जन-जन के मन को लुभाए,
सबसे अजीज हमारा है।
मीठी-सी मुस्कान है उसकी,
मुख में सारी धरती समाई है।
जगत के हैं वो पालनहार,
पूजता जिन्हें सारा संसार।
माधव ,कृष्ण, कन्हैया घनश्याम।
हैं इनके हजारों नाम।
मूरली की मधुर धुन जो गाए,
और गोपियों के संग नाचे।
पूरा हर्षित गोकुल धाम,
जपो कृष्ण का पावन नाम।
दीपा वर्मा
रा. उ. म. विद्यालय
मुजफ्फरपुर
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