जहाँ चाह वहाँ राह हमारी
जिंदगी जीने की करें तैयारी ,
जहाँ चाह वहाँ राह हमारी ।
पर मनमानी करें यदि हम ,
तो छीन जाएँगी खुशियाँ सारी ।
मन से ही खुशियाँ हैं मिलतीं ,
मन की सब कलियाँ हैं खिलतीं ।
मन के जीते जीत है होती ,
यह सब खुशियों से बड़ी है दिखतीं ।
ध्यान हमारा यदि एक डगर हो ,
लक्ष्य पाने में न कभी कसर हो ।
खुशियाँ मिलेंगी जो हम चाहें ,
यदि कुछ भी न कभी अगर मगर हो ।
इधर उधर कभी मन में न लाएँ ,
मन सीधे लक्ष्य को ध्याए ।
तभी सफलता मिलती सबको ,
जहाँ चाहें वही राह बनाएँ ।
क्या थे पहले कभी न शरम हो ,
क्या हम हैं इसका न भरम हो ।
कभी न किसी के बिगड़े करम हों ,
बोल किसी के कभी न गरम हों ।
खुशियों संग जब दीप जले हों ,
मन की आभा कभी न कम हो ।
दिन पर दिन यह बढ़ता जाए ,
फिर हमें नहीं किसी बात का गम हो।
जीवन बिना लक्ष्य के नहीं चलता ,
बिना इसके दोष नहीं टलता ।
सोचे बिना कुछ करें न कभी हम ,
इससे नित सौभाग्य है बनता ।
जीवन की डगर आसान बनाएँ ,
लें एक समझ तभी दूसरा आजमाएँ।
कभी न करें इधर उधर की बातें ,
केवल लक्ष्य सदा सुंदर अपनाएँ ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
