जीवन की ये कटु सच्चाई है कि
असफलताओं के बिना प्रगति नहीं।
चढ़ते-चढ़ते गिरकर फिर उठना,
सँभलकर कदम आगे को बढाना।
अनुशासन है जीवन की प्रगति,
जो न माने उसकी है सदा दुर्गति।
शिष्ट बनना है जीवन मार्ग को पाना,
चरित्रवान बन कुछ करके दिखाना।
शिक्षित बन सोच को विकसित करना,
अंधविश्वास और पाखंड को दूर भगाना।
कुरीतियों में है जीवन को भटकाना,
जीवन-मार्ग को सदा ही अटकाना।
ठोकरें इंसान को अगर गिराती है
यही उसे फिर जगाती और उठाती हैं।
गिर-गिर कर उठना और सँभलना,
कदम सदा आगे ही आगे बढ़ाना।
जीवन का सार है ये कर्म की रीति,
बंधकर रहना है ये जीवन की प्रीति।
जीवन की ये कटु सच्चाई है कि,
सत्य परेशाँ हो सकता पराजित नहीं।
असफलताओं के बिना प्रगति नहीं।।
सुरेश कुमार गौरव ‘शिक्षक’ उ. म. वि. रसलपुर
फतुहा, पटना, बिहार