हिंदू-मुस्लिम सिख ईसाई ,
सब लुटाते जान हैं।
न कोई भेद भाव यहाँ पे,
सब यहाँ पे समान है।।
होंठो पे बस एक ही नाम है
रीत यहाँ के महान है
देश हमारा सबसे न्यारा,
ऊँचा हिमगिरि भाल है
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
निर्झर सरिता चाल है।
पड़ती जब शबनम की बूँदे ,
चमका हिंदुस्तान है ।।
सब यहाँ पे समान है
तीन रंग का अपना झंडा
उड़ता ये भी आकाश हैं
केसरिया बल भरने वाला
श्वेत में बसता प्राण है
नीचे हरियाली की रंगत
समृद्ध रखता जहान है।
रीत यहाँ के महान है।।
सैकड़ों वीरों प्राण गवाँए
रक्षा करने भारत की
कितनी बहनों की माँगे सूनी
कितने उजड़े घर इंसान की
खोकर अपने सब अपनों को
हुआ सब यहाँ विरान है।
रीत यहाँ के महान है।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
सब लुटाते जान है।
भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ, पूर्णिया, बिहार
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