तितली रानी! तितली रानी!
लगती हो तुम बड़ी सयानी।।
रख लो तुम आँखों में पानी,
नहीं करो अब तुम मनमानी।।
रंग-बिरंगे पंख सलोने,
मन को अति प्यारे लगते हैं।
फूलों पर जब तुम मँडराती,
सुंदर छवि मनहर भरते हैं।।
बैठ सुमन जब पर फैलाती,
मन को अति मोहक लगती है।
रस फूलों का चूस-चूसकर,
फिर वह, इठलाती फिरती है।
तितली मेरे घर पर आओ,
मन के आँगन में बस जाओ।
सौम्य सुमन मैं बाग सजाऊँ।
प्रीति भाव से तुझे बुलाऊँ।।
देवकांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा,
सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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