दिल के आंसू -जय कृष्णा पासवान

Jaykrishna

दुनिया के हर सितम,
मुझपे छलकती है ।
मगरूर है ज़माना देखो,
क्या मजाक उड़ाती है।।
“तपता है दिल मेरा”
अरमान कुचल जाते हैं।
रूखी- सूखी रोटी से,
अपना दम -भर लेता हूं ।।
“रखता हूं महफूज़ तुझे”
फिर भी हम सरे-आम
लूटे जाते हैं ।
समाज की हालत क्या हो गई है
“इसकी कोई प्रवाह नहीं”।
पग-पग लूटा जा रहा है दामन
राजा भी इसकी गवाह नहीं।।
जुल्मी बन गई है सियासत ,
शिक्षा को संघार किया ।
“उठो जागो संगठित बनो”
अवसर तुम्हें पुकारती है।
“अपनी माटी अपना बतन”
आंचल वही सबारती है।।
अंधकार की खाई में गिर- जाने का डर है मुझे।
मानव संकट गरल बन गया,
बिखर जाने का डर है मुझे।।
आओ हाथ मिलाकर आगे- बढ़े “अमन खुशी लौटाने में”
जय कृष्ण चमन के धूल बने,
तेरी विपदा सुनाने में।।


जय कृष्णा पासवान स०शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा, बाराहाट (बांका)

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