दीप जलाओ रे- प्रियंका कुमारी

 

दीप जलाओ रे!
दीप जलाओ रे!
ढोलक बजाओ रे !
गीत कोई गाओ रे !
शुभता, मंगल का,
गीत गुनगुनाओ रे !
दीप जलाओ रे !
दीप जलाओ रे !
दीये की लड़ियों से,
घर- द्वार सजाओ रे!
अमावस की रात्रि
अंधेरा मिटाओ रे !
दीप जलाओ रे!
दीप जलाओ रे !
मिट्टी का सुंदर,
घरौंदा बनाओ रे !
पटाखे फुलझडियों से
द्वार जगमगाओ रे !
दीप जलाओ रे!
दीप जलाओ रे !

झिलमिल दीये की,
रोशनी में नहाओ रे!
भेद भुलाओ रे !
खुशियाँ मनाओ रे!
दीप जलाओ रे!
दीप जलाओ रे !
लक्ष्मी पूजन कर ,
आँगन महकाओ रे
लड्डू बताशे का
भोग लगाओ रे !
दीप जलाओ रे !
दीप जलाओ रे!
लंका विजय का
राम आगमन का
रीत निभाओ रे!
उत्सव मनाओ रे!
दीप जलाओ रे!
दीप जलाओ रे!
पुआ -पकवानों ,
मेवा -मिष्ठानों को
छककर खाओ रे !
दीप जलाओ रे !
दीप जलाओ रे!

प्रियंका कुमारी 

प्र. शिक्षिका
उ. म. वि. बुढ़ी
कुचायकोट, गोपालगंज

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