🙏कृष्णाय नमः🙏
विधा:-रुप घनाक्षरी
विषय:-दुर्गार्चना/नवरात्रि
विराजीं हैं घर-घर,
प्रफुल्लित तन-मन,
थाल सजी दीप जले,अब आरती उतार।
मिष्ठान का भोग लगे,
वितरण प्रसाद का,
अनुगत समर्पण,श्रद्धालुओं की कतार।
लोभ मोह त्याग कर,
माता के शरणागत,
आध्यात्म की अनुभूति,दीप्तिमान निराकार।
आगंतुकों की है भीड़,
पक्षी छोड़ आए नीड़,
जन-मन का त्योहार,नवरात्रि में सत्कार।
एस.के.पूनम।
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