सदियों से आ रही रिवाज,
कार्तिक की पूर्णिमा है आज।
सुबह-सुवेरे गंगा में जाकर,
कर आते स्नान हैं आज।
दिव्य रथ रूप धरी धरा,
शशि सूर्य चक्र बने आज।
मेरू धनुष बासुकी बने डोर,
विष्णु बाण रूप लिए आज।
तारकाक्ष, कमलाक्ष, विद्युन्माली,
तीनों असुरों का वध आज।
अभिजीत नक्षत्र में शिव,
तीनों पुर भस्म किए आज।
त्रिपुरासुर का कर विनाश,
त्रिपुरारी शिव कहलाए आज।
देवों का संताप मिटाकर,
सुरलोक मुक्त कराएँ आज।
तब झूम उठे देव सभी ,
जगमग ज्योत जलाएँ आज।
धरा गगन था हुआ प्रकाशित,
देव दिवाली मनाएँ आज।
आओ पाठक दीप दान करें,
घर आँगन चमकाएँ आज।
देवों का शुभ आशीष मिले,
शुभ दीप ज्योति जलाएँ आज।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश
पालीगंज, पटना
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