देवाधिदेव महादेव
दया सिंधु शिव जी सदा,करते हैं कल्याण।
जो भी आते हैं शरण,पाते वो वरदान।।
बाबा भोलेनाथ को, पूजे जो नर-नार।
पाकर नित आशीष को,करते निज भव पार।।
सावन आया झूमकर,पड़ने लगीं फुहार।
बाबा के जयकार से,गूँज रहा दरबार।।
काँवर लेकर चल दिये,भोले के दरबार।
आकर बाबा धाम में,करते जय-जयकार।।
उमापति महादेव को,जो सुमिरे दिन-रैन।
भव-बंधन को छोड़कर,पायेगा वो चैन।।
उमापति महादेव हैं,सबके प्राणाधार।
प्रतिदिन सुमिरन,जाप से, होगें भव से पार।।
कुमकुम कुमारी “काव्याकृति” शिक्षिका
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर
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