पावन शुचिमय भाव रख, रचें नवल संसार।
दे सबको नव वर्ष शुभ, खुशियों का उपहार।।
द्वेष पुराना भूलकर, करिए नेक विचार।
स्वागत हो नव वर्ष का, लेकर खुशी अपार।।
खुशियाँ द्वारे हैं खड़ीं, स्वागत को तैयार।
नवल वर्ष है झूमता, पाकर नेह अपार।।
नया हर्ष नव वर्ष हो, निश्छल कर्म प्रधान।
मात-पिता गुरु तीन से, पाएँ शुचिमय ज्ञान।।
मन में दृढ़ विश्वास है, शुभमय हो नववर्ष।
सत शिव सुंदर भाव से, जग में फैले हर्ष।।
तृष्णा मन की दूर कर, जपिए प्रभु का नाम।
दीन-हीन में प्यार भर, करिए मन अभिराम।।
नए साल की कामना, अनुपम श्रेष्ठ विचार।
स्वर्णिम भारतवर्ष हों, सकल दिव्य संसार।।
प्यारा भारतवर्ष है, अनुपम है विज्ञान।
नवल हर्ष उल्लास से , नित्य बढ़ाएँ शान।।
सुखद शांति के भाव का, भरा रहे भंडार।
मन की है यह कामना, पुलकित हो संसार।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार