दोहावली – मनु कुमारी

Manu Raman Chetna

प्रेम प्रलोभन दे रही, खड़ी राम के पास।
मन में थी यह चाहना, होगी पूरी आस।।

मर्यादा की रास में, किये न अनुचित काम।
आमंत्रण ठुकरा दिए, क्षमा सहित श्रीराम।।

हठ की जब सौमित्र से,काट लिए वह घ्राण।
बोली युवती ज्येष्ठ से,हर लो उसके प्राण।।

चंद्रमुखी सुंदर सिया, वही राम की जान।
भ्राता गर तू पा सके, जाए उसका मान।।

अनुजा के अपमान से, क्रोधित हो लंकेश।
हर लाया वो जानकी,धरकर साधू वेश।।

सिय को पाने को बना, श्यामल राम अनूप।।
सीता में उसको दिखा, मंदोदरी स्वरूप।।

लेकर रघुवर नाम वो, जपा करीं दिन रैन।
आएँ मेरे राम तो, मिले हृदय को चैन।।

रावण को वह मारकर, किया सिया उद्धार।
तीन लोक में हो रही, रघुवर की जयकार।।

प्रजा हितों को देखकर, राम किए बलिदान।
मर्यादा की रास में, दिया सिया को मान।।

सीता थी जब अख्य में, किये याग श्रीराम।
सिय मूरति ले साथ में, करते धर्म तमाम।।

मनु कुमारी
‘विशिष्ट शिक्षिका’
मध्य विद्यालय सुरीगाँव
बायसी,पूर्णियाँ, बिहार

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