दोहावली- रामकिशोर पाठक

 

अपने मन की कीजिए, रखकर मन में चाव।
औरों की वो मानिए, जो हो सही सुझाव।।

सत्य वचन हीं बोलिए, रखकर मधुर जुबान।
वैसा सत्य न बोलिए, जो करे परेशान।।

हर्षित मन रखिए सदा, सुख दुख दोनों साथ।
सद्कर्म में लीन हों, फल देंगे रघुनाथ।।

मात-पिता गुरु को सदा, करिए प्रात प्रणाम।
जब भी शुभ अवसर मिले, करिए नवीन काम।।

देह वसन परिवेश भी, रखिए सुथरा साफ।
अगर किसी से भूल हो, करिए उसको माफ।।

तन के सँग मन का सदा, रहें मिटाते दाग।
रखकर भाव समत्व का, करें ईश अनुराग।।

पर अवगुण ढूंढत फिरत, निज गुण रहे निहार।
देख भेद हस्ती करत, यह सब अधम विचार।।

पीछे में शिकवा करे, पर सन्मुख गुणगान।
उस आस्तीन सर्प का, करें जल्द पहचान।।

वधू सुता के सम रहे, दोनों घर के मान।
अगर हों भेद-भाव तो, यश धन होती हान।।

जीवन को संतृप्त कर, रखिए शुचिता ज्ञान।
दूजे को मत कष्ट दें, रखिए इतना ध्यान।। 

राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश

पालीगंज, पटना

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply