दोहावली – रामकिशोर पाठक

 

शुभता मन में राखिए, लेकर प्रभु का नाम।
मात-पिता के ही चरण, बसते चारों धाम।।

शीश झुकाऍं ईश को, मन-दुविधा से हीन।
धीरज से कारज करें, बदलें जीवन दीन।।

माया की माया लगी, माया पति दें ध्यान।
पाठक विनती यह करे, करिए कृपा प्रदान।।

भटक रहा अज्ञान वश, ढूँढ रहा मैं ज्ञान।
बोधिसत्व की कृपा से, बनते सभी सुजान।।

लेते हरि का नाम जब, बन जाता हर काम।
रोग शोक होता शमन, लेकर देखो नाम।।

पाठक अंदर देखिए, बाहर-सा आकाश।
फिर जीवन में पाइए, सुंदर सत्य प्रकाश।।

कर तलाश पाठक रहा, मिले कहीं ठहराव।
पर ऐसी लगती लगन, मिलता है भटकाव।।

सही फैंसला ही किया, सदा वक्त हालात।
मिटा सका है भ्रम नहीं, मन बसे सवालात।।

मानव जो भ्रम जाल में, रचे विविध आरोप।
दया-दान फिर मॉंगता, पाकर समय प्रकोप।।

राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय

भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना

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