आया नववर्ष लेकर नई सुगंध
स्वर्णिम नूतन विहान।
आँखों में उम्मीदों की चमक
हर सीने में सुमधुर गान।
धूल धूसरित हो जाए
अवगुण, क्रोध, कलुष, अभिमान।
निर्मलता हो जन- जीवन में
अकिंचन का भी रहे सम्मान।
अतीत का रहे बोध, मर्यादा, मूल्यों का रहे ध्यान।
आदर्शों की सरिता से अभिसंचित हो सारा जहान।
सबके जीवन चरित्र में महके स्वावलंबन स्वाभिमान।
रचना सृजन, नव चेतना से बने
अपना भारत महान।
खिलखिलाती बचपन खुशियों से झूले नर- नारी जवान।
सदियों तक सजा रहे भारत माँ का सतरंगी परिधान।
आशीष अम्बर “शिक्षक”
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
प्रखंड- केवटी
जिला- दरभंगा, बिहार
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