पावन शरद ऋतु – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

पावन शरद ऋतु की बहुत बड़ाई ,
सबके चित्त  नित  परम  सुहाई ।

आश्विन, कार्तिक होते अति  पावन,
दिल  को  लगते  हैं  अति  भावन।

पर्वों  का   यह   पवित्र   महीना,
नित  दिन  खुशियों  से है जीना।

पितृ  पक्ष  में  पिंड  दान  हैं करते,
लोग पितर  का  ध्यान हैं धरते।

जितिया पर्व  भारी अति भावन,
माता का  उपवास अति  पावन।

शुक्ल पक्ष में  देवी  पूजन होता,
इनका पूजन कर कोई नहीं रोता।

दसवें  दिन  विजयादशमी आती,
सबके  दिल  उमंग  भर  जाती।

आश्विन शरद पूर्णिमा होती,
वनस्पतियों के लिए यह अमृत बोती।

करवा चौथ  व्रत  पत्नी  है धरती,
लंबी पति उम्र की कामना करती।

धनतेरस  का  शुभ  दिन आया,
सोना चाँदी का बाजार मन भाया।

कार्तिक अमावस को मने दिवाली,
घर- घर  दीपों  की  छटा  निराली।

इस दिन लक्ष्मी की पूजा निशा में होती,
निशा सर्वत्र अंधकार है खोती।

भैया दूज का पावन दिन भाया,
भैया बहना का प्रेम उमड़ आया।

चित्रगुप्त पूजा की धूम  मची है ,
हर नयनों में  भक्ति  रची  है।

छठ  व्रत  का महापर्व  आया ,
है  सबका  रोम- रोम हर्षाया।

अक्षय  नवमी इस  ऋतु  में आती,
सबका दिल खुशियों से भर जाती।

देवोत्थान एकादशी इसी में पड़ती,
यह  व्रत  सदा  मंगल  है  करती।

शरद पूर्णिमा  का एक और दिन आया,
इस  ऋतु का यह अंतिम  दिन भाया।

यह  कार्तिक  मास  पूर्णिमा  पावन,
चित्त को  लगते  बड़े   सुहावन।

शरद  ऋतु  को  हृदय  बसायें,
परम धन्य यह जीवन पायें।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा , जिला- मुज़फ्फरपुर

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