गुलाबी रंग की ,
परिणाम तो देखो ।
चारों दिशाओं की ,
आसमान तो देखो।।
इन्द्रधनुष से सजी है,
बादलों के काफ़िले।
चांद और सितारों के ,
मुस्कान तो देखो।
बहती हुई फिजाऐं,
कहती है कुछ।
सारे गिले सिकबे को,
मिटा के तो देखो।।
दरिया भी मौज की,
रवानी में बहती है।
फागुन में साहिल से,
कुछ गुनगुना के तो देखो।।
चिड़ियां चहकती है ,
उजालों के आगोश में।
सारे रंजिशो को दिलों से,
मिटा के तो देखो।।
धरणी की धुरी तो,
स्नेह पर खड़ी है।
कुछ जज़बातों को बातों से,
मिला के तो देखो।।
फागुन में फूलों की,
कितनी खुशबू छलकती है।
माली बनकर भंवरे से,
हाथ मिलाकर तो देखो।।
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जयकृष्णा पासवान
उच्च विद्यालय बभनगामा बाराहाट बांका
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