बचपन के खेल
बचपन के थे खेल निराले ,
गिल्ली-डंडा लड़ना कुश्ती ।
पतंग बाजी , छिप्पा छिप्पी ,
भागा दौड़ी , धींगामुश्ती ।
लूडो एवं गोली खेलना ,
भैया से मिल दंड पेलना ।
पीट्टो और कबड्डी द्वारा ,
मिटती जाती थी हर सुस्ती ।
वॉलीबॉल फुटबॉल भी थे ,
कभी न आते फोन कॉल थे ।
नदियों में थे खूब नहाते ,
शरीर में आती थी चुस्ती ।
भूल गये है सभी खेल ये ,
रहते कब हैं आज स्वस्थ वे ।
वे तो खुश है मोबाइल में ,
है बात न भेजे में घुसती ।
सुधीर कुमार
मध्य विद्यालय , शीशागाछी ,
प्रखंड टेढ़ागाछ,
जिला किशनगंज बिहार ।
0 Likes