विषय -बाबू वीर कुंवर सिंह
शीर्षक – बचपन से था शौक चढ़ा
आज है 23 अप्रैल का दिन
आज का दिन है बड़ा महान,
आज हीं जन्म लिए बाबू वीर कुंवर जी
करते हम शत्- शत् बार प्रणाम।
23 अप्रैल 1777 को भोजपुर जिले के
जगदीशपुर गाँव में क्षत्रिय जमींनदार परिवार में जन्म लिया,
साहबजादा सिंह साधारण किसान पिता थे
माता पंचरत्न ने लालन-पालन किया।
बाबू साहबजादा थे अंग्रेज के विश्वास पात्र
इसलिए अंग्रेज ने इनको भोजपुर जिले के जमींदारी सौंपी,
निभाया इमानदारी से सभी काम साहबजादा जी ने
न सहे कभी अंग्रेजो की धमकी।
बचपन से थे ये मेधावी
गह -गह में था इनका बुद्धि भरा,
बंदूक चलाने घोड़े की सवारी करने का
इनको बचपन से हीं था शौक चढ़ा।
चार भाई थे बाबू कुंवर सिंह
सबसे बड़े तेज- तर्रार बाबू वीर कुंवर सिंह थे,
अमर सिंह, दयालु सिंह,और राजपति सिंह
ये सभी भाई इनसे छोटे थे।
बाबू वीर कुंवर सिंह भोजपुर जिले के
भोजपुरी शेर सिंह कहलाते थे,
अपने जीवन काल वे नहीं
कभी किसी से हारे थे।
अभी भी भोजपुर जिले में
होली में गाते हैं ये गीत,
आहो कुंवर सिंह वीर
बाबू कुंवर सिंह तेगवा बहादुर
बंगला में उड़ेला अबीर।
17 अक्टूबर 1858 को जब अंग्रेजों ने
जगदीशपुर के सभी दिशाओं पर आक्रमण किया,
तभी 150 स्त्रियों ने शत्रु के तोप के सामने
अपना जीवन लीला समाप्त किया।
80 साल में बाबू कुंवर सिंह छेड़ा
अंग्रेज साथ वो 15 जंग,
अत्याचारियों को गाजर मूली के तरह काटा
दंग रह भागा अंग्रेज साथियों के संग।
80 साल में लोग बिस्तर पर रहते हैं
लेकिन उस समय वीर कुंवर सिंह
अंग्रेज तट पर कर रहे थे गंगा नदी वो पार,
पीछे से क्रूर अंग्रेजों ने मारी दाएँ हाथ में गोली
दाएँ हाथ हुआ उनका बेकार।
हुआ दर्द बहुत जोरों से उनको
निकाल लिए वो अपना तलवार,
बाँह काटकर गिरा दिए गंगा में
बोले ले गंगा मैया मेरी तरफ से ये उपहार।
माता पंचरत्न का बेटा हूँ मैँ
साहबजादा हैं मेरे बाप,
आज 26 अप्रैल 1858 को
मैं जीवन समाप्त कर जाता हूँ ईश्वर के पास।
आज है इनका जन्म दिवस
करते हैं हम शत्- शत् बार प्रणाम,
जबतक सूरज चाँद रहेगा
अमर रहेगा इनका नाम —२।
नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।