बरसात – रुचिका

Ruchika

बरसात

लो आ गयी बरसात,
बदल गए हालात,
गर्मी से राहत मिले,
बदल गए जज़्बात।

धरा की मिट गयी प्यास,
किसानों के मन में जगे आस,
खेतों में फसल लहलहायेगी,
मिट जाएंगे सारे ही काश।

नदी,तालाब पोखर में पानी,
बच्चे भी करने लगे मनमानी,
झींगुर की बजती झनकार,
टर्र टर्र मेढ़क सुनाए कहानी।

चारों तरफ हरियाली है,
जीवन में आई खुशहाली है,
सूरज का ताप नरम पड़ा,
हर तरफ होली दीवाली है।

लो रिमझिम पड़ी फुहार,
संग में चलती है शीतल बयार,
हर तरफ जोश और उमंग है,
जगने लगा हर दिल में प्यार।

रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ गुठनी सिवान बिहार

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