भाई बहन का अद्भुत प्रेम
भाईदूज को दिखता है
भाई की लंबी जीवन करने को
भाई को ही श्राप देती हैं
पश्चाताप भी करती हैं
बाद में अपने जिह्वा पर
रेंगनी का कांटा चुभाती हैं
सेमर के रूई से उनकी
आयु सहर्ष जोड़ती हैं
देती हैं आशीष बहुत
पिता भाई का रोग बलाए
यम का खून पीती हैं
कूट कूट कर यम का सिर
काला मटका फोड़ती हैं
चौका पीढ़ा लीप पोत कर
भाई को बैठाती हैं
बजरी के दाने खिलाकर
फौलादी उन्हें बनाती हैं
हाथों में श्रीफल देकर
सौभाग्य उनका बढ़ाती हैं .
इस त्यौहार के बहाने घर की खुशहाली की कामना करती है
धन्य है वह बहने जो इतने कष्ट झेल कर भी घर की खुशहाली की कामना करते हैं .
डॉ मनीष कुमार शशि
+2 उच्च विद्यालय
बक्सर
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