भौतिक सुविधा और स्वास्थ्य
आज होड़ लगी है भौतिक सुख सुविधा की ,
स्वास्थ्य के लिए कुछ दोस्त बने कुछ दुश्मन हैं ।
बुद्धि ही असल इसमें सही ज्ञान है देता ,
किन किन चीजों को खाने में बड़प्पन है ।।
बुद्धि हमे सदा सीख है देती ,
क्या छोड़ें क्या पाएँ हम ।
किन चीजों से स्वास्थ्य है बनता ,
किन चीजों से निकले दम ।।
हो कोशिश सदैव हमारी ऐसी ,
उन्हीं चीजों का प्रयोग करें ।
जिनसे हमें चुस्ती फूर्ति मिलती हो ,
हम उन सबका उपभोग करें ।।
भोजन हो जब सात्विक तो ,
जीवन का खूब रंग निखरता ।
इससे सबको खुशियाँ मिलती है ,
कोई जीव कष्ट में नहीं पड़ता ।।
न जीवन में कृत्रिमता अपनाना ,
प्राकृतिकता की शान निराली है ।
इससे हमें सही ऊर्जा मिलती ,
यही हमें रौशन करती मतवाली है ।।
पिज्जा , बर्गर , कुरकुरे आदि को ,
कभी कहीं नहीं अपनाना है ।
पाश्चात्य सभ्यता क्या आ गई यहाँ ,
लोग उन्हीं सबका दीवाना है ।।
जो अबतक नहीं समझते ,
उनके घर घर जाकर समझाना है ।
जो समझते हुए भी उपभोग करते ,
उन्हें बारम्बार याद दिलाना है ।।
टीवी , मोबाइल , गाड़ी आदि का ,
अंधाधुंध प्रयोग नहीं करना है ।
इन सबसे जितना बचे रहें ,
हमें वहीं मार्ग अपनाना है ।।
संभव जितना हो सके जीवन में ,
कृत्रिमता को नहीं बढ़ाना है ।
देख परखकर ; सोच समझकर ,
निज जीवन हमें बचाना है ।।
मानव है सर्वोपरि हमेशा ,
उसे कर्म योनि से गुजरना है ।
अन्य जीव जगत में जितने भी ,
उन्हें भोग योनि का फल मिलना है ।।
सचमुच कहूँ मानव जीवन की,
आज बड़ी कठिन परीक्षा है ।
सम्भाले या बिगाड़े जीवन को ,
इसमें अंतिम उसकी इच्छा है ।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
