लोकतंत्र का पावन पर्व, राय अपनी दीजिए।
राष्ट्रहित में अवश्य अपना,अंश निश्चित कीजिए।
बनिए मत सिर्फ मूक दर्शक, फैसला अब लीजिए।
काम करें जो राष्ट्रहित में,मत उसे ही दीजिए।।
किन्हीं की बातों में आकर,दिग्भ्रमित मत होइए।
और लोभलालच में पड़कर ,पथ खार मत बोइए।
खोलिए अंखियों को अपनी, दिल की जी अब सुनिए।
हो जो सच्चे-अच्छे इंसान,उनको सांसद चुनिए।।
कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
शिक्षिका
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर
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