मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम

रंगभूमि कर्मभूमि,

गोदान है वरदान,

निर्मला मंगलसूत्र,

दिया पहचान है।

ईदगाह बूढ़ीकाकी,

याद है पूस की रात,

लिखे मानसरोवर,

पढ़ना आसान है।

भाषा-शैली है सरल,

छिपाए हैं गूढ भाव,

पाए मान धरा पर,

किए न अभिमान है।

शतरंज के खिलाड़ी,

गबन कफन साथ,

पंच है परमेश्वर,

भू-लोक का ज्ञान है।

एस.के.पूनम
प्रा. वि. बेलदोरी
फुलवारीशरीफ, पटना

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