मनहरण घनाक्षरी – भावानंद सिंह

Bhawanand

बीत गया जो समय,

वह पुराना साल था,

मिलकर हों स्वागत,

आया नववर्ष है।

चारों ओर खुशी छायी,

ढोल-नगाड़े  संग हैं,

नाच रहे मिलकर,

आज़ धरा हर्ष है।

गर हो मन- लगन,

श्रम से न मुख मोड़

मूल मंत्र जीवन का,

यही तो उत्कर्ष है।

सुख, शांति औ समृद्धि,

प्राप्त  करें पच्चीस में,

ले संकल्प बढ़ें आगे,

यही तो निष्कर्ष है।

भवानंद सिंह
मध्य सह माध्यमिक विद्यालय मधुलता
रानीगंज अररिया, बिहार

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