भाद्रपद शुक्लपक्ष,
धन्य हे सुलक्ष्य लक्ष,
वक्रतुंड महाकाय,
चरण पखारते।
कोमल- कोमल दूर्वा,
मोदकम मोतीचूर्वा,
मूषक वाहन बीच,
लाल ही स्वीकारते।
लाल वस्त्र लाल फूल,
रक्त चंदन कबूल,
नारियल संग हम,
प्रभु को पुकारते।
पुष्प धूप दीप गंध,
अक्षत नैवेद्य संग,
गंगाजल लिए हम,
मंत्र भी उच्चारते।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दरबे भदौर
पंडारक, पटना
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