महिला शिक्षिकाओं को समर्पित- चांदनी समर

Chandani samar

मम्मी मेरी शक्तिशाली, आधी रात उठ जाती है
अंधेरे में जाग कर खाना वो बनाती है

झाड़ू पोछा बर्तन कपड़े, फिर खुद जा नहाती है
जूते मोजे बस्ता टिफिन हम सब का बनाती है
करती है तैयार हमें, फिर पापा को जगाती है

जल्दी जल्दी दौड़ दौड़ कर खाना हमें खिलाती है
पर ना जाने क्यों खुद रोज़ ही बिन खाए स्कूल चली जाती है

मम्मी मेरी अच्छी टीचर, भोर में ही निकल जाती है
स्कूल में फिर 7-8 घंटे बच्चों को पढ़ाती है

पर दोपहर में लौट कर जब वो घर आती है
सूखा चेहरा बिखड़े बाल, कुर्सी पर ढह जाती है

फिर भी कब थकती है मम्मी थोड़ी देर में उठ जाती है
झूठे बर्तन मांझ पोछ वो फिर किचन में घुस जाती है

रोटी सब्जी दाल चावल रात के खाने में बनाती है
खिला पिला कर हम सब को जब वो सोने जाती है

तब ना जाने कैसे मम्मी मेरी बेजान सी हो जाती है
कहराती है पैर दर्द से, सर दर्द से छटपटाती है
हो जाता है बुखार भी कभी कभी फिर सो भी नहीं पाती है

पर रात के 3 बजे मम्मी पर फिर देवी आ जाती है
दर्द को बिस्तर पर छोड़ फिर मम्मी उठ जाती है

जुड़े में बांध पीड़ा सारी मम्मी फिर काम में जुट जाती है
मम्मी मेरी शक्तिशाली आधी रात उठ जाती है।

चांदनी समर

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