माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
मेरे तन मन सब में बसतीं,
माँ मेरी थीं न्यारी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
माँ मेरी बिल्कुल अद्भुत थीं,
गंगा निर्मल पानी।
नीरव जीवन सुंदर चितवन,
थी परियों सी रानी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
कभी गुस्साए मैया मोरी,
सहज तुरन्त थी मानी।
करे दुलार वो ऐसे जैसे,
बिछुड़े वर्षों प्राणी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
हौले हौले सब बतलाती,
सखी थी बहुत सयानी।
पता नही क्यों उसका आँचल,
धरा स्वर्ग रस जानी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
मैं जाया ममतामयी माँ की,
प्रेम सुधा रस जानी।
विदा हुई जब मैं मायके से,
नीर नयन भर पाणी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
कहाँ मैं पाऊँ अपनी मैया,
प्राण वायु कोई प्राणी।
नही कहीं कोई माँ के जैसा,
ढूंढ़ा घट-घट प्राणी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
हृदय ध्यान धरूँ मेरी माँ जब,
अतिआनंद रस जानी।
पुलकित बालक मन आ जाये,
आँचल जुगत बखानी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
अश्रुधार बहता मेरी मैया,
कहूँ दुलार कहानी।
तू जो मुस्काये मेरी मैया,
मन प्रकाश रवि जानी।
माँ की मैं क्या बात बताऊँ,
माँ थीं बहुत ही प्यारी।
डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या ‘
कटिहार, बिहार।
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार
