मैं स्वतंत्र हूँ, मैं गणतंत्र हूँ,
मैं जन जन का तंत्र हूँ,
मैं आर्यावर्त ,मैं ही भारत,
मैं ही विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हूँ।
एक राष्ट्र ,एक संविधान,
एक ध्वज, भारतीयता की पहचान,
विभिन्न भाषा,विभिन्न बोली,
अनेकता में एकता है हमारी शान।
मैं गणतंत्र आजकल हूँ परेशान,
स्तरहीन राजनीति से हो रहा हलकान,
जाति धर्म के नाम पर हो रही गुटबंदी,
भाई भाई से हो रहे हैं बेईमान।
देशहित में हो जाए एकजुट अभी
राष्ट्र सम्पति की रक्षा करें सभी,
मैं भारत गणतंत्र है मेरी शान,
गणतंत्र की आन बान की रक्षा करें सभी।
मैं गणतंत्र ,मैं भारत है मेरी पहचान,
राष्ट्र गान जन गण मन हो गूँजयमान।
रूचिका
रा.,उ.म.वि. तेनुआ,गुठनी सिवान बिहार
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